Removal of Oxidative Stress
साथियो जैसा की हम जानते है कि हमारे शरीर मे आंक्सीकरण प्रक्रिया के कारण या विषेले तत्वों के कारण तथा प्रदूषण के कारण फ्री-रेडिकल उत्पन्न होते है। जिससे हमारे शारीर की कोषिकंये प्रभावित (नष्ट) होती है।यह प्रक्रिया शंखला बनाती है। यह एक निरंतर प्रकिया है, जिससे मानव शरीर की उम्र त्रीव गति से बढती है। साथ ही साथ अनेक बीमारिया शरीर मे घर कर लेती है। जिससे जीवन को खतरा बढ जाता है। जब कोषिकाए प्रभावित होते होते, यह प्रभाव डीएनए को दूषित करता है। ऐसी स्थिति में फ्री-रेडिकल को निष्प्रभावि करने के लिये एंटीआक्सीडेंट (ग्रीन टी , विटामिन सी युक्त पदार्थ हरी सब्जियो) के सेवन की सलाह दी जाती है। लेकिन आज हम जानेगे ऐसे वरदान के बारे में जो बिना एंटी आक्सीडेंट का सेवन किये हम फ्री-रेडिकल को हटा सकें और आक्सीडेटिव स्ट्रेस से बच सके। सब से पहले जानना होगा कि फ्री-रेडिकल क्या है, कैसे शरीर मे उत्पन्न होता है। वह शरीर को किस प्रकार प्रभावित करता है।
फ्री -रेडिकल (Free redical) & हमारे शरीर के पाचन के दौरान आक्सीकरण की क्रिया होती है A जिससे आक्सीजन विभाजित होती है,परिणाम स्वरुप वह शरीर के कणो के एटम मे आयुग्मित (unpair) इलेक्ट्रोन वाले चक्र (orbit) बना देती है और वह एटम फ्री-रेडिकल मे बदल जाता है। शुद्ध भाषा में कहें तो उस एटम मे इलेक्ट्रान की कमी हो जाती है। उसे हम असंतृप्त चक्र(unsaturated orbit) वाला एटम कह सकते है। जब भी किसी पदार्थ के एटम मे असंतृप्त चक (unsaturated orbit) होता है तो उसकी स्थिति ज्यादा देर तक नही रहती है वह अस्थाई रहता है। आसानी से इलेक्ट्रान ग्रहण कर लेता है इस प्रकार वह पास के एटम से इलेक्ट्रान ले लेता है , और समीप के एटम को फ्री-रेडिकल में बदल देता है। यह एक श्रृख्ंला (Chain) हो जाती है। इस प्रकार शरीर के एक फ्री-रेडिकल से कई कोषिकाए क्षति ग्रस्त हो जाती हैं। अतः बाहर से इलेक्ट्रान लेना आवष्यक हो जाता है। बाहर से जिस पदार्थ के द्वारा इलेक्टान मिलता है, डाक्टर उसे ही ‘‘एन्टी-आक्सीडेंट‘‘ कहते है। क्योंकि बाहर से भोजन के रुप में खाया पदार्थ जो असानी से कोषिकाओ को इलेक्ट्रान उपलब्ध करा दे वह एंटी-अक्सीडेन्ट कहलाता है तथा आक्सीडेषन की क्रिया धीमी हो जाती है। सीधे कहे तो फ्री-रेडिकल किसी भी अणु के परमाणु के सबसे बाहरी कक्ष में अयुग्मित (unpair) इलेक्ट्रान होगे तो वो फी-रेडिकल कहलाएगे।
फ्री-रेडिकल के मानव शरीर पर प्रभाव (Effect of free redical on human body)
फ्री-रेडिकल वाला अणु हमारे शरीर में त्रीवतम क्रियाशील अस्थायी अणु होता है। यह अस्थायी अणु मेटाबोलेजिम (आक्सीडेषन) के कारण सामान्य रुप से उत्पन्न होता है, प्रदूषित वातावरण के टाकसिन्स से जैसे तम्बाकु का धुॅआ, अल्ट्रावयलेट किरणों, से पैदा होता है जब कोई अणु अस्थायी एवं फ्री-रेडिकल वाला होता है तो वह अपने समीप के अणु से इलेक्ट्रान चोरी कर लेता है और उसे क्षतिग्रस्त कर देता है। यह प्रक्रिया DNA को भी प्रभावित करती है। उसके क्षति ग्रस्त होने से हमारे शरीर को कैंसर होता है।
फ्री-रेडिकल कैसे मुक्तहोता है (How to remove free redical)
इसको समझने के लिये ‘अणु‘ के इलेक्ट्रान विन्यास को समझना जरुरी होगा। थोडी सी केमेस्ट्री है जो बहुत आसान है। किसी भी पदार्थ के अणु मे इलेक्ट्रान एवं प्रोट्रान होते है- ‘‘प्रोटान‘‘ न्यूक्लियस मे और इलेक्ट्रान कक्षो मे होते है। इलेक्ट्रानों का विन्यास निम्न नियम से होता हैं।
इलेक्ट्रान की संख्या = 2(n)2
जहॅा n = कक्ष की संख्या है जैसे प्रथम, द्वितीय, तृतीय —-अब देखे कि n के स्थान पर 1,2,3 …………. संख्या रखने पर नियम के अनुसार उस चक्र मे कितने इलेक्ट्रान होगे।
प्रथम चक्र 2 इलेक्ट्रान
द्वितीय चक्र 8 इलेक्ट्रान
तृतीय चक्र 18 इलेक्ट्रान
इस प्रकार यदि उपरोक्त संख्या पूर्ण होती है तो अणु का कक्ष संतुष्ट कक्ष कहलाता है। यदि इस नियम से अंाकलित चक्र संख्या में निर्धारित इलेक्ट्रान नही होते है तो वह चक्र असंतुष्ट चक्र (unsaturated orbit) कहलाता है उदाहरण स्वरुप तृतीय चक्र में =18 इलेक्ट्रान होने पर वह संतुष्ट है यदि उससे कम इलेक्ट्रान होगे 17‘16‘15……..11 आदि तो वह चक्र असंतुस्ट च्रक कहलाता है।
चित्र -1
सब से बाह्य चक्र (द्वितीय) मे कुल इलेट्रान 8 है। जो अर्थात , नियम के अनुसार पूर्ण है। इस प्रकार द्वितीय चक्र संतुष्ट चक्र है। अब हम यहा दो पदार्थ A & B की बात करते है।
चित्र -2
यहॉ पदार्थ A esa के मान से इलेक्ट्रान चक्र में है, प्रथम में 2, द्वितीय मे 8 कुल 10, बाहरीचक्र संतुष्ट चक्र कहलाता है। इसप्रकार पदार्थ B में प्रथम चक्र में -2, द्वितीय चक्र में 10 तथा तृतीय चक्र में-01, जबकि नियम से यदि के मान से संख्या = 18 होती है। जबकि तृतीय में चक्र मे केवल 1 इलेक्ट्रान है। अतः इस पदार्थ के बाह्य चक्र को अति असंतुस्ट (most unsaturated orbit) कहेगे। जो चक्र सबसे असंतुष्ट होता है ,उसमें से इलेक्ट्रान निकालना आसान होता है।
यदि A एवं B पदार्थ को साथ मे रगडते है तो B पदार्थ से 1 इलेक्ट्रान A में चला जाता है, इस प्रकार स्थिति निम्न हो जाती है।
चित्र -3
चित्र -2 मे हम दखेगे । पदार्थ मे 10 प्रोटान 10 इलेक्ट्रान है। 10 प्रोटान का धनात्मक प्रभाव 10 इलेक्ट्रान के ऋणात्मक प्रभाव को उदासीन (Neutralized) कर देता है। इसी प्रकार ठ पदार्थ मे 11 प्रोटान 11 इलेक्ट्रान है। 11 प्रोटान का धनात्मक प्रभाव 11 इलेक्ट्रान के ऋणात्मक प्राभाव को उदासीन (Neutralized) कर देते है। इस प्रकार अणु मे किसी भी प्रकार का विधुत आरवेष का असर दिखाई नही देता है।
चित्र-3 के । पदार्थ मे 10 प्रोटान 11 इलेक्ट्रान है। इस प्रकार 10 प्रोटान का धनात्मक प्रभाव 10 इलेक्ट्रान के ऋणात्मक प्रभाव को उदासीन (Neutralized) कर देता है। लेकिन 11 वॉ इलेक्ट्रान जो B पदार्थ से A पदार्थ में आया है। अपना ऋणात्मक प्रभाव दिखाता है A पदार्थ ऋणात्मक विधुत अवेष से आवेषित हो जाता है। इसी प्रकार B पदार्थ से 01 इलेक्ट्रान A पदार्थ में जाने से 11 के स्थान पर B पदार्थ मे 10 इलेक्ट्रान रह जाते है। B पदार्थ में प्रोटान की संख्या 11 है। जो इलेक्ट्रान की तुलना में एक अधिक है। इस प्रकार एक अधिक प्रोटान अपना धनात्मक प्रभाव प्रदार्षित करता है। और पदार्थ B धनात्मक आवेष से आवेषित हो जाता है।
दूसरी तरह से कहे तो A पदार्थ मे एक इलेक्ट्रान ज्यादा है। तो वह ऋणात्मक विधुत आवेष से आवेषित है, एवं पदार्थ B मे 1 प्रोटोन अधिक है। तो वह धनात्मक विधुत आवेष से आवेषित है।
यहॉ हमे एक बात समझना है कि धनात्मक आवेष कभी भी प्रवाहित नही होता है क्योकि वह पदार्थ के अणु के केन्द्र (Nucleus) मे होता है। जब भी विधुत का प्रवाह होता है तो इलेक्ट्रान ही प्रवाहित होते है।
यह कहे कि यदि A पदार्थ को उदासीन करना है तो उससे इलेक्ट्रान बाहर निकालना होगा। यदि पदार्थ B को उदासीन करना है तो इलेक्ट्रान B पदार्थ को देना होगा। जिससे वहॅा 10 के स्थान पर 11 इलेक्ट्रान हो जाए।
अब हम सारी प्रक्रिया को चित्र – 4 से समझते है।
चित्र -4
जब हम पदार्थ A एवं B को पृथ्वी से जोडेगे तो क्या होगा। चूकि विधुत प्रवाह मे केवल इलेक्ट्रान ही प्रवाहित होते है।, इसलिये पदार्थ A मे इलेक्ट्रान अधिक है। उसे रास्ता मिलेगा और वह पृथ्वी मे चला जाएगा। विधुत प्रवाह हमेषा इलेक्ट्रान के विवरीत दिषा में होता है। अतः विधुत पृथ्वी से A की ओर जाएगी।
इसी प्रकार पदार्थ B मे इलेक्ट्रान की कमी है। अतः इसकी पूर्ति के लिए इलेक्ट्रान पृथ्वी से पदार्थ B मे जाएगा , ओर इलेक्टा्रन की कमी की पूर्ति करेगा। और विधुत प्रवाह B मे पृथ्वी की ओर होगा।
देखे चित्र – 4
एन्टीआक्सीडेंट कैसे मिलेगा ?
हमारे शरीर मे फ्री-रेडिकल है यनि इलेक्ट्रान की कमी है। अब हम कल्पना करे कि पदार्थ B के स्थान पर हमारा शरीर है। क्या होगा ? फ्री-रेडिकल जो हमारे शरीर मे है, उसके इलेक्ट्रान की कमी को दूर करने के लिए पृथ्वी से इलेक्ट्रान हमारे शरीर मे आजाएगे । इस प्रकार इलेक्ट्रान आने से फ्री-रेडिकल रिमूव्ह हो जाएगे, अर्थात हमारे शरीर मे एंटीआक्सीडेंट जो काम करता है, वह काम हो जाएगा।
देखे चित्र-5
चित्र-5
आपको क्या करना है?
हमे बगैर चप्पल जूतो के पृथ्वी के संपर्क मे प्रति दिन 1 से 2 घण्टे रहना है। सुबह ओष की हरी घास पर नंगे पैर टहलना है। पृथ्वी की सतह से संपर्क मे रहे। आपने देखा होगा। गर्मी मे जब हम खुले बदन घर के फर्स पर लेट जाते है। तो बहुत अच्छा लगता है। असंख्या इलेक्ट्रान पृथ्वी से हमारे शरीर मे जाते है। फ्री-रेडिकल को रिमूव्ह करते है। इसको और अच्छे से समझने के लिए आप हमारे यूटूब चैनल पर प्रदषित विडियो (How to remove free radical from our body) देखे ।
My Self Hari singh choudhary
S.N.H.S. Dip.(Holistic nutrition), London, S.N.H.S. Dip. (Advanced Nutrition), London, S.N.H.S. Dip. (Holistic Pain Management), London, S.N.H.S. Dip. (Nutrition for Age 50+), London, S.N.H.S. Dip. (Plant-Based Nutrition), London, S.N.H.S. Dip. (Vegetarian & Vegan Nutrition,) London, Certified Diabetes Educator’s (INDO-VIETNAM MEDICAL BOARD, Associate member of The International College of Holistic Medicine, England.
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